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क्षमा प्रार्थना / काका हाथरसी

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|संग्रह=काका तरंग / काका हाथरसी
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{{KKCatKavita}}<poem>मिला निमंत्रण आपका, धन्यवाद श्रीमान,<br>किंतु हमारे हाल पर कुछ तो दीजे ध्यान।<br>कुछ तो दीजे ध्यान, हुक्म काकी का ऐसा,<br>बहुत कर चुके प्राप्त, प्रतिष्ठा-पदवी-पैसा।<br>खबरदार, अब कविसम्मेलन में मत जाओ,<br>
लिखो पुस्तकें, हास्य-व्यंग्य के फूल खिलाओ।
</poem>
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