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मसूरी यात्रा / काका हाथरसी

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|संग्रह=काका की फुलझड़ियाँ / काका हाथरसी
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देवी जी कहने लगीं, कर घूँघट की आड़<br>
हमको दिखलाए नहीं, तुमने कभी पहाड़<br>
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