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शून्य / गजानन माधव मुक्तिबोध
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09:11, 3 नवम्बर 2009
भीतर जो शून्य है
उसका एक जबड़ा है
जबड़े में माँस काट
ख्खाने
खाने
के दाँत हैं ;
उनको खा जायेंगे,
तुम को खा जायेंगे ।
विकास
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