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प्रभु मेरी दिव्यता में / अनीता वर्मा
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16:10, 4 नवम्बर 2009
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|रचनाकार=अनीता वर्मा
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<poem>
प्रभु मेरी दिव्यता में
सुबह-सबेरे ठंड में कांपते
उस ग्लानि से कि मैं महंगी शॉल ओढ़ सकूं
और मेरी नींद रिक्शे पर पड़ी रहे.
</poem>
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