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कुछ फुटकर शे’र / अमरनाथ साहिर
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18:30, 4 नवम्बर 2009
|रचनाकार=अमरनाथ साहिर
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{{
Category: शेर
KKCatSher
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होने को तो है अब भी वही हुस्न, वही इश्क़।
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