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ज़ुर्म / अरुण कमल
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09:01, 5 नवम्बर 2009
खड़ा हो पाया था लाशों के बीच
::::दोस्तों के चेहरे पहचानता
वे आए
लाशों को लांघते
और कहा-- तुम्हारी वर्दी का एक बटन
::::::टूटा है
हाँ
मैंने माना
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