|रचनाकार=अरुणा राय
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{{KKCatKavita}}
<poem>
किसी एक पल
शुरू होते हो तुम
किसी एक पल<br>निगाहशुरू होते हो तुम<br><br>या ध्वनिया एक शब्द से
निगाह<br>या ध्वनि<br>या एक शब्द से<br><br>अगले पल
अगले पल<br><br>अंत हो जाता है उसका
अंत हो जाता है उसका<br><br>परउसकी त्रासदियां
पर <br>उसकी त्रासदियां<br><br> अनंत होती जाती हैं... <br/poem>