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चंद रुबाइयात / अली अख़्तर ‘अख़्तर’
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17:52, 5 नवम्बर 2009
|रचनाकार=अली अख़्तर 'अख़्तर'
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मेरी बला को हो, जाती हुई बहार का ग़म।
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