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विवशता / शैलेन्द्र चौहान

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|रचनाकार=शैलेन्द्र चौहान|संग्रह=ईश्वर की चौखट पर / शैलेन्द्र चौहान
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एक लंबी सुरंग
खड़ी प्रेत-छाया
 
द्वार पर उसके
 
निकलने का रास्ता नहीं कोई
 
प्रारंभ में चले थे जहाँ से
 
धसक कर टूट चुकी
 
अब सुरंग वहाँ
 
मुश्किल है पहचानना अंधेरे में
 
था उसका कैसा और
 
किस स्थिति में रचाव
 
छिन्न-भिन्न रास्ता पीछे
 
सामने विकट स्थितियाँ
 
भयावह आकृति वह
 
डर पैठा अंतर में सघन
 
मन और मति दोनों
 
कर गया अस्थिर
 
चेतना है शेष इतनी
 
निकल सकता है रास्ता
 
सकुशल बच निकलने का
 
कुछ क्षणों के लिए यदि
 
हट जाए वह भयंकर आकृति
 
डरती है प्रेत-छाया
 
जिस आग और लोहे से
 
दोनों नहीं हैं पास अपने!
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