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बनमानुष कविता पढ़ रहा है / अवतार एनगिल
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|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
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<poem>घूमने वाली आरामदेह कुर्सी में धंसकर
एक वनमानुष
अपने धुएं रंगे चश्मे को
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