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<poem>
क़त्ले-आफ़ताब<ref>सूर्य का वध
</ref>
 शफ़क़<ref>सवेरे या शाम के समय क्षितिज की लालिमा </ref>के रंग में है क़त्ले-आफ़ताब <ref>सूर्य का वध</ref> का रंग
उफ़ुक़<ref>क्षितिज </ref> के दिल में है ख़ंजर, लहूलुहान है शाम
सफ़ेद शीशा-ए-नूर और सिया बारिशे-संग<ref>पत्थरों की बारिश </ref>
ज़मीं से ता-ब-फ़लक<ref>धरती से क्षितिज तक </ref> है बलन्द रात का नाम