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सैर सपाटा / आरसी प्रसाद सिंह

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'''{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार : =आरसी प्रसाद सिंह''' |संग्रह=}}{{KKCatNavgeet}}<poem>
कलकत्ते से दमदम आए
 
बाबू जी के हमदम आए
 
हम वर्षा में झमझम आए
 
बर्फी, पेड़े, चमचम लाए।
खाते पीते पहुँचे पटना
 
पूछो मत पटना की घटना
 
पथ पर गुब्बारे का फटना
 
तांगे से बेलाग उलटना।
पटना से हम पहुँचे रांचीराँची रांची राँची में मन मीरा नाची सबने अपनी किस्मत जांचीजाँचीदेश -देश की पोथी बांची। रांची से आए हम टाटा सौ सौ मन का लो काटाबाँची।
राँची से आए हम टाटा
सौ-सौ मन का लो काटा
मिला नहीं जब चावल आटा
 
भूल गए हम सैर सपाटा !
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