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स्त्री / इला प्रसाद

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|रचनाकार=इला प्रसाद
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<poem>
कच्चे भुट्टे के दानों सी बिखरी
जिन्दगी की किताब के
पिछले पन्नों में बन्द हैं।
 
अगले पन्नों पर
क्योंकि आग , खामोशी, धूप और खिलखिलाहट
औरत की जिन्दगी का सारा जोड़- घटाव है
जिसका उत्तर कभी भी शून्य नहीं आता!</poem>
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