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17:10, 9 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र सिंह बेदी 'सहर'
|संग्रह=
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<poem>
आये हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग
दैर-ओ-हरम में चैन जो मिलता
क्यों जाते मैख़ाने लोग
जान के सब कुछ, कुछ भी न जाने
हैं कितने अंजाने लोग
वक़्त पे कम नहीं आते हैं
ये जाने पहचाने लोग
अब जब मुझ को होश नहीं है
आये हैं समझाने लोग
</poem>