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आज / आभा बोधिसत्त्व

22 bytes added, 18:01, 9 नवम्बर 2009
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आज महिला दिवस पर
 
मन में बहुत कुछ चल रहा है,
 
क्या लिखूँ क्या न लिखूँ के बीच
 
समय बीत रहा है,
 
इसी बीतने में
 
हर दिवस हर त्यॊहार की तरह
 
यह भी निकल न जाए.
 
नही़ नहीं- मैं
 
मैं लिखूँगी अपनी एक कविता
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