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मारना / उदय प्रकाश

20 bytes added, 18:06, 10 नवम्बर 2009
|संग्रह= सुनो कारीगर / उदय प्रकाश
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{{KKCatKavita}}<poem>
आदमी
 
मरने के बाद
 
कुछ नहीं सोचता.
 
आदमी
 
मरने के बाद
 
कुछ नहीं बोलता.
 
कुछ नहीं सोचने
 
और कुछ नहीं बोलने पर
 
आदमी
 
मर जाता है.
</poem>
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