|रचनाकार=नोमान शौक़
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MERCY KILLING पर लिखना चाहता हूँ
पेशानी पर झूलती लटों से
ब्रेन-टयूमर से होने वाले दर्द को
जब मरीज़ आखिरी आख़िरी गाँठ खोल रहा हो
बची-खुची साँसों से बंधी पोटली की
ऐसे मरीज़ हर रोज़
ऐसा नहीं होना चाहियेचाहिए
मेरी कविता का अंत
एहसास है मुझे भी