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शारदे! / उदयप्रताप सिंह

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|रचनाकार=उदयप्रताप सिंह
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संपदा त्रिलोक की न अंब चाहिये मुझे,
सपूत कह के प्यार से पुकार दे ओ शारदे ।
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