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साजन तुम्हारी याद / श्रद्धा जैन
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10:28, 13 नवम्बर 2009
है सबब उदासी का कभी तो कभी हँसी लब पर
कभी तुम्हारी आहट सुन लूँ पलकें मूंद कर
हूँ बहुत
चन्चल हँसमुख
हूँ बहुत
, हर महफ़िल की जानकभी मैं खुद को ढूँढ रही हूँ
,
खुद से हूँ अंजान
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद
कभी शूल तो कभी फूल है साजन तुम्हारी याद
Shrddha
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