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समुद्र-6 / पंकज परिमल
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23:10, 16 नवम्बर 2009
सीपियों और शंखों का
और असंख्य छोटी-मोटी कौड़ियों का भी
एक-पैकेज छोड़ ही जाती
है
हैं
</poem>
अनिल जनविजय
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