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मनुष्य के लिए / जया जादवानी
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20:40, 18 नवम्बर 2009
अगर मैं उठा लूँ
तेज़ गति से दौड़ते हुए
पथ्वी
पृथ्वी
पर गिरा एक तिनका
तो मैं रच सकती हूँ
एक अनश्वर कविता
मनुष्य के लिए...।
</poem>
अनिल जनविजय
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