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ऋतु मुस्कान / जया जादवानी

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|रचनाकार= जया जादवानी
|संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य / जया जादवानी
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<poem>
मैं पूरी ऋतु ही लेकर आई थी
हर कालखंड का हर मौसम
तुमने चुन लिए सारे वसन्त
अपने लिए
सूखे पत्तों की गठरी
वापस लाई मैं
समय के बिल्कुल
दूसरे मुहाने पर
जब खोलकर देखा
एक हरा पत्ता जाने कैसे
मुस्करा रहा
मेरी हथेली पर
तेरी मुस्कान का।
</poem>