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16:36, 22 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= जया जादवानी
|संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य / जया जादवानी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
समय के माथे पर बिन्दी
लगाती हूँ समय की
इस तरह शब्द एक रचती हूँ
रंग में घुलती हूँ समय के
इस तरह इसे पढ़ती हूँ
समय को रचना
समय को पढ़ना
समय ही हो जाना है
अंततः...।
</poem>