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कोई नहीं आएगा / जया जादवानी

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{{KKRachna
|रचनाकार= जया जादवानी
|संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य / जया जादवानी
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<poem>
कोई नहीं आएगा
जब-जब तुम पुकारोगे
बेहिस व्याकुलता में
समेटेगा वस्त्र अपना
समेटेगा सामान
झाँक कर देखेगा अन्तरिक्ष से नीचे
गला रुँध जाएगा उसका
सोचेगा अभी क्षण में पहुँचता हूँ और
याद आ जाएगा यकबयक काम एक
छूटा हुआ
देता हुआ तसल्ली ऊपर से कि
आता हूँ
कोई नहीं आएगा।
</poem>