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02:31, 25 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}
<poem>एक इंसान रो रहा है
औरत है
लेटर बाक्स पर
दोनों हाथों पर सिर टिकाए
बिलख रही है
टेढ़ी काया की निचली ओर
दिखता है स्तनों का उभार
औरत है
औरत है
दिखता है स्तनों का उभार
टेढ़ी काया की निचली ओर
बिलख रही है
दोनों हाथों पर सिर टिकाए
लेटर बाक्स पर
औरत है
एक इंसान रो रहा है</poem>