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02:34, 25 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
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}}
<poem>जाड़े की शाम
कमरा ठंडा ठ न् डा
इस वक्त यही खबर है
- हालाँकि समाचार का टाइम हो गया है
कुछेक खबरें पढ़ी जा चुकी हैं
और नीली आँखों वाली ऐश्वर्य का ब्रेक हुआ है
है खबर अँधेरे की भी
काँच के पार जो और भी ठंडा
थोड़ी देर पहले अँधेरे से लौटा हूँ
डर के साथ छोड़ आया उसे दरवाजे पर
यहाँ खबर प्रकाश की जिसमें शून्य है
जिसमें हैं चिंताएं, आकांक्षाएँ, अपेक्षाएँ
अकेलेपन का कायर सुख
और बेचैनी……..
……..इसी वक्त प्यार की खबर सुनने की
सुनने की खबर साँस, प्यास और आस की
कितनी देर से हम अपनी
खबर सुनने को बेचैन हैं।</poem>