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भैया जिन्दाबाद / लाल्टू

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{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}<poem>आ गया त्यौहार
फैल गई रोशनी
बड़कू ने रंग दी दीवार
लिख दिया बड़े अक्षरों में

अब से हर रात
फैलेगी रोशनी
दूर अब अंधकार
हर दिन है त्यौहार

छुटकी ने देखा
धीरे से कहा
अब्बू पीटेंगे भैया
हुआ भी यही
मार पड़ी बड़कू को
छुटकी ने देखा
धीरे से कहा
मैं बदला लूँगी भैया

फिर सुबह आई
नये सूरज
नई एक दीवार ने
दिया नया विश्व सबको

दीवार खड़ी थी
अक्षरों को ढोती
भैया ज़िंदाबाद।</poem>
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