|रचनाकार=बिरजीस राशिद आरफ़ी
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'''जुलाई, १९४३''' को '''क़स्बा चाँद्पुर (देहरादून)''' में जन्मे''' जनाबे-बिरजीस राशिद आरफ़ी साहब''' को भारत के लगभग तमाम नामी-गिरामी शायरों की मौजूदगी में अपने फ़न का जादू जगा चुके हैं. "राशिद आरफ़ी साहब की ग़ज़लों का एक-एक शेर, उनके चिन्तन की गहराई और विधा पर उनकी मज़बूत पकड़ का उदाहरण है और उनकी शायरी का जादू सुनने-पढ़ने वालों के सर चढ़कर बोलने की क़ाबिलियत रखता है. यह बात उनका शेरी मजमूआ (काव्य-संग्रह)'''"जैसा भी है"''' पढ़कर महसूस किया जा सकती है.
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