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रात / नरेन्द्र शर्मा
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09:09, 3 दिसम्बर 2009
:क्या सदा से ही अविचलित धीर हो तुम?
:आँसुओं की ओस कैसे छिपाती हो?
यह मुझे भी बताओ, ओ तारकों में
मुस्कुरती
मुस्कुराती
रात!
::ओ जगमगाती रात!
:बाट किसकी जोहती हो, असितवसना?
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