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रात / नरेन्द्र शर्मा

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:क्या सदा से ही अविचलित धीर हो तुम?
:आँसुओं की ओस कैसे छिपाती हो?
यह मुझे भी बताओ, ओ तारकों में मुस्कुरती मुस्कुराती रात!
::ओ जगमगाती रात!
:बाट किसकी जोहती हो, असितवसना?
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