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07:46, 5 दिसम्बर 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार= हसरत मोहानी
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[[category: ग़ज़ल]]
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मातम न हो क्यों भारत में बपा दुनिया से सिधारे आज तिलक<ref >लोकमान्य बालगंगाधर</ref>
बलवन्त तिलक, महराज तिलक, आज़ादों के सरताज तिलक
जब तक वो रहे, दुनिया में रहा हम सब के दिलों पर ज़ोर उनका
अब रहके बहिश्त में निज़्दे-ख़ुदा<ref >ईश्वर के पास</ref> हूरों पे करेंगे राज तिलक
हर हिन्दू का मज़बूत है जी, गीता की ये बात है दिल पे लिखी
आख़िर में जो ख़ुद भी कहा है यहीं फिर आएंगे महराज तिलक
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