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कह-मुकरियाँ / अमीर खुसरो
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04:12, 7 दिसम्बर 2009
रूप रंग सब वा का चाख
भोर भई जब दिया उतार
ऐ
सखी
सखि
साजन? ना सखि हार!
१६.
डा० जगदीश व्योम
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