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युग-ध्वनि / माखनलाल चतुर्वेदी
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आग उगलती उधर तोप, लेखनी इधर रस-धार उगलती,
ठोकर दे, कह युग! चलता चल, युग के सर चढ़, तू चलता चल!
रचनाकाल: खण्डवा-
१९४४
१९४०
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