Changes

युग-ध्वनि / माखनलाल चतुर्वेदी

14 bytes removed, 12:00, 11 दिसम्बर 2009
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
आग उगलती उधर तोप, लेखनी इधर रस-धार उगलती,
ठोकर दे, कह युग! चलता चल, युग के सर चढ़, तू चलता चल!
रचनाकाल: खण्डवा-१९४४१९४०
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits