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औरत-13 / चंद्र रेखा ढडवाल
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10:54, 13 दिसम्बर 2009
दंभ उसका
पीले कमज़ोर
हो
तो
पराजित
मुँह चुराते
नाराज़
वह
रंग गंध के मेलों का
सिरजनहार
सिरजनहारा
पालक दृष्टा
प्रभाव
पुरुष
और दोनों ही के लिए
खाद -पानी
हो
-
मिट्टी होती
खिलते
खिलने
में खिलती कममुर्झाने में मुर्झाती ज़्यादा औरत.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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