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ति-रंगा / कविता वाचक्नवी
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09:02, 17 दिसम्बर 2009
ले जिसे अभिमन्यु
जूझा था समर में,
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है यही वह चक्र जिसने
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क्रूरता के रूप कुत्सित
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कंस या शिशुपाल की
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ग्रीवा गिराई।
हम सदा से
चंद्र मौलेश्वर
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