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बाँधो, छबि के नव बन्धन / सुमित्रानंदन पंत
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::दे आलिंगन बाँधो!
:::छबि के नव--
बाँधो जलनिधि लघु जल-कण में,
महाकाल को कवलित क्षण में,
::फिर-फिर अपनेपन को मुझमें
::चिर जीवन-धन! बाँधो!
:::छबि के नव--
'''रचनाकाल:
अप्रैल’१९३५
जुलाई’१९३४
'''
</poem>
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