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12:06, 23 दिसम्बर 2009 <font size=1 color=black>प्रथम फ्लैप {हस्त लिखित}</font><br>
०<br>
|| स्त्री ||<br>
०
<br>
एक हँसी का नाम है स्त्री<br>
स्त्री एक रुलाई का नाम है<br>
एक खामोशी का नाम है स्त्री.
<br>
स्त्री एक खबर का नाम है<br>
एक नज़र का नाम है स्त्री<br>
स्त्री एक लहर का नाम है.
<br>
एक चेतना का नाम है स्त्री<br>
स्त्री एक घटना का नाम है<br>
एक रचना का नाम है स्त्री.<br>
<br>
स्त्री के भीतर<br>
मुझे कभी कोई स्त्री नहीं दिखी<br>
एक भी पंक्ति नहीं लिखी मैंने<br>
स्त्री के ऊपर.
<br>
--- शलभ श्रीराम सिंह<br> १९९३<br>