<font size=1 color=black>प्रथम फ्लैप {हस्त लिखित{KKGlobal}}</font><br>०<br>{{KKRachna|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह | स्त्री ||<br>संग्रह=उन हाथों से परिचित हूँ मैं / शलभ श्रीराम सिंह ०}}{{KKCatKavita}}<brpoem>एक हँसी का नाम है स्त्री<br> स्त्री एक रुलाई का नाम है<br> एक खामोशी का नाम है स्त्री.
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स्त्री एक खबर का नाम है<br>
एक नज़र का नाम है स्त्री<br>
स्त्री एक लहर का नाम है.
<br>स्त्री एक चेतना ख़बर का नाम है स्त्री<br> स्त्री एक घटना नज़र का नाम है<br> स्त्री स्त्री एक रचना लहर का नाम है स्त्री.<br>है।
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स्त्री के भीतर<br>
मुझे कभी कोई स्त्री नहीं दिखी<br>
एक भी पंक्ति नहीं लिखी मैंने<br>
स्त्री के ऊपर.
<br>एक चेतना का नाम है स्त्रीस्त्री एक घटना का नाम है एक रचना का नाम है स्त्री। स्त्री के भीतर मुझे कभी कोई स्त्री नहीं दिखी एक भी पंक्ति नहीं लिखी मैंने स्त्री के ऊपर। '''रचनाकाल : 1993'''--- शलभ श्रीराम सिंह<br> १९९३<br/poem>