|रचनाकार=बिहारी
|संग्रह=
}} {{KKCatKavita}}[[Category: कवित्त]]<poem>
नील पर कटि तट जटनि दै मेरी आली,
:::लटुन सी साँवरी रजनि सरसान दै,
नूपुर उतारन किंकनी खोल डारनि दै
:::धारन दै भूषन कपूर पान खान दै,
सरस सिंगार कै बिहारी लालै बसि करौ
:::बसि न करि सकै ज्यौं आन प्रिय प्रान दै,
तौ लगि तू धीर धर एतौ मेरौ कह्यौ करि
:::चलिहौं कन्हैया पै जुन्हैया नैंकु जानि दै।।</poem>