|संग्रह= अभियान / महेन्द्र भटनागर
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मैं विद्रोही कवि, मैं नवयुग को निर्मित करने वाला हूँ !
जिन संघर्षों से व्याकुल हो मानव कर उठते हैं क्रन्दन,
मैं इन संघर्षों से निर्भय, वज्रों को सहने वाला हूँ !
'''रचनाकाल: 1945</poem>