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शब्द / कर्म / गिरधर राठी

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|संग्रह= निमित्त / गिरधर राठी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>वक़्त आया तो हम ने भी किए सीधे सवाल : 
किस ने दिया तुम्हें हक़?
 
किस ने?
 
किस ने? !!!
 
हम ने किए सीधे सवाल दर सवाल दर सवाल
 
 
...
 
शब्द थे
 
हैं
 
होंगे हमारे सवाल
 
भरे-पूरे, कटख़ने तीते
 
तर्क के, रोष के, इंसानी हुमस के
 
शब्द
 
लेकिन निरे शब्द
 
तने कसे रुंधे मुक्त शब्द
 
शब्दहीन हो कर भी
 
शब्द
 
निपट शब्द...
</poem>
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