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पास बैठे हो / माखनलाल चतुर्वेदी
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|संग्रह=समर्पण / माखनलाल चतुर्वेदी
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<poem>
चट जग जाता हूँ, चिराग को जलाता हूँ,
::सोचता हूँ, मेरे इष्टदेव पास बैठे हो।
'''रचनाकाल: बिलासपुर जेल-१९२१
'''
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