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कभी ऐ हक़ीक़त-ए- मुन्तज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में / इक़बाल
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07:19, 18 जनवरी 2010
मैं जो सर-ब-सज्दा<ref>प्रार्थना के लिए सर झुकाया</ref> कभी हुआ तो ज़मीं से आने लगी सदा<ref>पुकार </ref>
तेरा दिल तो है सनम-आशनाअ<ref>हृदय से
मूर्तिपूजक
मूर्ति-पूजक
</ref> तुझे क्या मिलेगा नमाज़ में
</poem>
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द्विजेन्द्र द्विज
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