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|रचनाकार=रंजना जायसवाल
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<poem>
स्त्री
धान का बिजड़ा

एक खेत से उखाड़कर
रोप दी जाती है
दूसरे में

यह सोचकर
कि जमा ही लेगी
अपनी जड़ें...।
</poem>