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18:43, 23 जनवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
स्त्री
धान का बिजड़ा
एक खेत से उखाड़कर
रोप दी जाती है
दूसरे में
यह सोचकर
कि जमा ही लेगी
अपनी जड़ें...।
</poem>