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|रचनाकार=रंजना जायसवाल
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<poem>
तुम्हारी
तलाश में
कई बार
गिरी हूँ
दलदल में

और हर बार
जाने कैसे
बच निकली हूँ
कमल-सा
मन लिए...।
</poem>