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दो चार बार हम जो कभी / कुँअर बेचैन
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13:36, 17 जनवरी 2008
|रचनाकार=कुँअर बेचैन
}}
दो चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए<br>
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए<br><br>
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Dr.bhawna