मिलन गीत{{KKGlobal}} {{KKRachna|रचनाकार= अमिताभ त्रिपाठी ’अमित’}}{{KKCatKavita}}<poem>
रात्रि के अंन्तिम प्रहर तक तुम न मुझसे दूर जाना।
आज होठों पर तेरे लिखना है मुझको इक तराना।
मैं भुला दूँ भूत अपना और तुम गुजरा जमाना।
रात्रि के अन्तिम प्रहर तक तुम न मुझसे दूर जाना।
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