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आशी: / त्रिलोचन
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|संग्रह=अरघान / त्रिलोचन
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<poem>
पृथ्वी से
दूब की कलाएं लो
चार
उषा से
हल्दिया तिलक
लो
और
अपने हाथों में
अक्षत लो
पृथ्वी आकाश
जहां
जहाँ
कहीं
तुम्हें जाना हो
बढ़ो
बढ़ो
('अरघान' नामक संग्रह से )
</poem>
अनिल जनविजय
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