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'''झाडू की नीति कथा'''{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=राजेश जोशी}}[[Category:कविता]]
झाडू बहुत सुबह जाग जाती है<br\>
’कचरा बुहारने की चीज है घबराने की नहीं<br\>
कि अब भी बनाई जा सकती हैं जगहें<br\>
रहने के लायक.’
० जून १९९०