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मुझसे बोलो / प्रयाग शुक्ल
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'''मुझ से बोलो'''
बादल! मुझसे बोलो!
बन्द रन्ध्र सब खोलो!<br />
रोम रोम में बजो<br />
हमारे हो लो!
मिट्टी की यह छुअन<br />
तुम्हारी, उमड़े.<br />
गन्ध बने स्मृति की-<br />
व्याकुल, बोलो!
जी भर जी को धो लो!
Mukesh Jain
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