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हम फकीरों की गली में झांकिए !
 
सच-बयानी को बुरा मत मानिए !!
फक्र है खुद की जवानी पर यदि -
 
तो बुढापे का भरम भी जानिए !!
जर्फ़ हो तो सर झुकाने की जगह -
 
सर झुके जितना झुकाना चाहिए !!
सुर्ख़ियों में आज तो मदहोश हो -
 
होश आएंगे मिलेंगे जब हाशिये !!
आपकी हर बात अच्छी है मियाँ -
 
पर मेरे कश्मीर को मत मांगिए !!
बक्त कहता है यही अब " प्रभात" 
आस्तीं में सांप मत अब पालिए !!
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